कहते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है इसी मुहावरे के सामान यह किताब भी है
श्रापित किताब के बारे में यह एक अफवाह है कि इसे पढ़ने वाला व्यक्ति या तो पागल हो जाता है या मर जाता है।.
यह किताब उत्तर प्रदेश के गांव में रहने वाले एक विद्वान मुंशी भगवानदास की पुत्री निलावंती द्वारा लिखी गई 1733 में।.
बताया जाता है कि किताब को पढ़ा व्यक्ति पशु पक्षियों से बात कर सकता था ,उनकी भाषा समझ सकता था।. और समय आने पर अपना काम निकलवा सकता था।.
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जिन-जिन व्यक्तियों ने इस ग्रन्थ को सुलझाने की कोशिश की उन सभी की मृत्यु हो गयी और इसी कारण भारत सरकार द्वारा इसे बैन कर दिया गया।
लोगो का मानना है की इस ग्रंथ को एक श्रापित यक्षिणी के द्वारा लिखा गया है इसलिए इस ग्रंथ को जिसने सुलझाने की कोशिस की उनकी मत्यु हो गई।
Nilavanti Granth” के बारे में और एक बात प्रसिद्ध थी की उसे जाननेवाला एक मनुष्य आज भी जिवित है उसे लोग बाजिंद कहते है और वह महाबळेश्वर के जंगलो में रहता है। कहते है उसकी आयु १००० वर्ष से भी ज्यादा है।
हनुमान चालीसा को 7 बार पढ़ने का रहस्य | The Secret of Reading Hanuman Chalisa 7 Times